नवरात्रि पर अभिनेत्री ईशा का महिलाओं को संदेश – “सहयोग करो, साज़िश नहीं”
नवरात्रि के शुभ अवसर पर अभिनेत्री और समाजसेवी ईशा ने महिलाओं को सशक्त बनाने और एक-दूसरे का साथ देने का आह्वान किया। ईशा ने अपने संदेश में कहा कि महिलाएं एक-दूसरे की प्रतियोगी नहीं, बल्कि साथी बनें। उन्होंने जोर देकर कहा – “सहयोग करो, साज़िश नहीं।”
प्रतिस्पर्धा नहीं, प्रोत्साहन ज़रूरी
ईशा का मानना है कि समाज ने महिलाओं को इस तरह ढाला है कि वे आपस में प्रतिस्पर्धा करें, लेकिन अब समय आ गया है कि इस सोच को तोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना चाहिए, न कि एक-दूसरे को नीचा दिखाने में ऊर्जा बर्बाद करनी चाहिए।
दिखावे की दुनिया को चुनौती
आज की दिखावे और बाहरी मान्यता वाली दुनिया पर कटाक्ष करते हुए ईशा ने कहा कि महिलाओं को दूसरों की मंज़ूरी का इंतजार करने की बजाय, गर्व से खुद का जश्न मनाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा – “विरासत में मिली मानसिकता को चुनौती देना ही असली बदलाव की शुरुआत है। सिर्फ इसलिए कि चीज़ें हमेशा से ऐसे ही होती आई हैं, इसका मतलब ये नहीं कि आगे भी वैसे ही हों।”
सुरक्षा और स्वतंत्रता पर जोर
ईशा ने महिलाओं से अपील की कि वे अपनी और दूसरों की सुरक्षा को लेकर आवाज़ उठाने में कभी पीछे न हटें। उन्होंने कहा – “अगर आप अपनी या किसी और महिला की सुरक्षा के लिए आवाज़ नहीं उठाएँगी, तो कौन उठाएगा?”
उनकी आवाज़ तब और सख़्त हो गई जब उन्होंने महिलाओं की आज़ादी की बात की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्वतंत्रता महिलाओं को उपहार में नहीं मिली है, इसके लिए पीढ़ियों से संघर्ष करना पड़ा है और यह लड़ाई अब भी जारी है।
जागरूकता ही असली शक्ति
ईशा ने जागरूकता को महिलाओं की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि जितनी ज्यादा जागरूकता फैलाई जाएगी, उतना ही मुश्किल होगा महिलाओं की आवाज़ को दबाना। नवरात्रि जैसे पावन पर्व पर उनका यह संदेश और भी प्रभावशाली प्रतीत हुआ।
देवी केवल पूजने के लिए नहीं
अपने संबोधन के अंत में ईशा ने कहा – “देवी सिर्फ पूजने के लिए नहीं होती हैं, उन्हें जीने के लिए होती हैं।”
उनका यह संदेश महिलाओं के आत्मविश्वास, साहस और एकजुटता को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।

